Monday, February 27, 2012

जब क्षितिज को धरा ने छुआ होगा


गर्माहट के लिए लिखा बादलों में पढ़ा होगा
अरे ये खबर तो धरा ने सूरज के लिए गढ़ा होगा
एक मुस्कान उसके लब तक भी आयी होगी
जब उसने बादलों में ये लिखा पढ़ा होगा
भीनी सी खुशबु फैल गयी होगी
जब क्षितिज को धरा ने छुआ होगा



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