Monday, February 27, 2012

वो तपती धुप में मुझे तनहा छोड़ कर चल दिया ... जिसको बरसो मैंने अपने आँचल का साया दिया ....


वो  तपती  धुप में  मुझे  तनहा  छोड़  कर  चल  दिया ...
जिसको  बरसो  मैंने  अपने  आँचल  का साया  दिया ....



2 comments:

  1. बनके हम साया चलेंगे, ये थी खाई कस्में
    ज्यूँ हटे बादल, वो अंजाना मैं अंजानी थी.

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