MyHeartBeatsForYou
Monday, February 27, 2012
वो तपती धुप में मुझे तनहा छोड़ कर चल दिया ... जिसको बरसो मैंने अपने आँचल का साया दिया ....
वो तपती धुप में मुझे तनहा छोड़ कर चल दिया ...
जिसको बरसो मैंने अपने आँचल का साया दिया ....
2 comments:
डॉ. रामनाथ शोधार्थी
June 15, 2012 at 4:01 AM
बनके हम साया चलेंगे, ये थी खाई कस्में
ज्यूँ हटे बादल, वो अंजाना मैं अंजानी थी.
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Shwetketu
June 23, 2012 at 11:10 AM
bahut khoob
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बनके हम साया चलेंगे, ये थी खाई कस्में
ReplyDeleteज्यूँ हटे बादल, वो अंजाना मैं अंजानी थी.
bahut khoob
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