Monday, February 27, 2012

किया धरा ने ही मजबूर

सूरज था ही कब धरा से दूर
रात दिन का फेरा करने को
किया धरा ने ही मजबूर
जब धरा ओड लेती रात
सूरज भी छुप जाता है
करवट बदले जो धरा तो
वो नया सवेरा लाता है

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