आवाज़े कई शक्ल बना कर आती है कभी आंसू बन कर बस बह जाती हैं
आवाज़े कई शक्ल बना कर आती है फुसफुसाती आवाज़ गूंजती आवाज़े कुछ शोर सी कमजोर सी सारी आवाज़े घूमती है जेहन में टकराती है टटोलती हैं मेरा वजूद कुछ पार निकल जाती हैं कुछ वहीँ रह जाती हैं कभी चुप्पी बन कर कभी आंसू बन कर बस बह जाती हैं
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