Monday, February 27, 2012

आवाज़े कई शक्ल बना कर आती है कभी आंसू बन कर बस बह जाती हैं


आवाज़े
कई शक्ल बना कर आती है
फुसफुसाती आवाज़
गूंजती आवाज़े
कुछ शोर सी
कमजोर सी
सारी आवाज़े घूमती है जेहन में
टकराती है
टटोलती हैं
मेरा वजूद
कुछ पार निकल जाती हैं
कुछ वहीँ रह जाती हैं
कभी चुप्पी बन कर
कभी आंसू बन कर बस बह जाती हैं

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