Tuesday, February 28, 2012
Hain itna haqq ki puchlu ek sawaal main Maut se…
Hain itna haqq ki puchlu ek sawaal main Maut se…
Kitni Um’r milegi mujhe.. marne ke baad’
Chalta raha sehra se lekar kachchi mitti tak main’
Na rahe kahin Nishan qadmo ke.. ,mere Jaane ke baad
Har shab Sulagti thi Rooh..jism mein Aag ki tarah’
Uthhna hai koi dhuan mitti me dafnn hone ke baad
Na kar aaitbaar gairon ka sirf ek tasleem par STrue…
Log bhool jaate hai tujhe… Roz milne ke baad
Monday, February 27, 2012
इन नशीली आँखों को आप बंद रखा कीजिये, सुना है कई मुसाफिर मंजिल भूल जाते हैं.
इन नशीली आँखों को
आप बंद रखा कीजिये,
सुना है कई मुसाफिर
मंजिल भूल जाते हैं.
आप बंद रखा कीजिये,
सुना है कई मुसाफिर
मंजिल भूल जाते हैं.
Dil ne unse kuchh kah diya hoga.. you'n hi wo khafa nhi hota...........
Kab khyaalat unka nhi hota...
Dard dil se juda nhi hota...
Dil ne unse kuchh kah diya hoga..
you'n hi wo khafa nhi hota...........
Dard dil se juda nhi hota...
Dil ne unse kuchh kah diya hoga..
you'n hi wo khafa nhi hota...........
ढाई आखर है, रंग हज़ार कितना विलक्षण है ये प्यार
ढाई आखर है, रंग हज़ार
कितना विलक्षण है ये प्यार
बांध सके जो कभी किसी को
ये ऐसे है कोई डोर नहीं
कोशिश चाहे कर को जितना
चलता है किसी का जोर नहीं
चाहे कितना पीछा कर लो
ये हाथ कभी न आता है
कभी यूँ ही चलते चलते ही
बस रस्ते में मिल जाता है
जितना चाहो इसे समझना
ये उतना ही उलझता है
कभी यूँ ही उलझे उलझे ही
ये मंजिल की राह दिखता है
कासी जो मुट्ठी बंद अगर जो
हाथों से फिसल ही जाता है
खुली बाहें फैला कर देखो
ये साथ हमेशा आता है
कितने है इसके देखे रूप
है कहीं बिखरता बन कर धुप
जेठ की लू बन कर के ये
तन मन कभी जलाता है
पतझड़ के सूखे पत्तों सा
चिंगारी से जल जाता है
कहीं बदली बन कर छाता है
घनघोर घटा बरसता है
कहीं बर्फ के कच्चे फाहों सा ये
छूते ही पिघल ये जाता है
कही सदियों सदियों तक ठहरे
ये पाले सा जम जाता है
कभी गहरा सन्नाटा है
जो काटने को आता है
कभी संगीत है, कभी शोर है
कभी सांझ है, कभी भोर है
कभी भूख है, कभी प्यास है
कभी उम्मीद है, कभी आस है
कभी दूर है , कभी पास है
कभी बस यू ही एहसास है
कभी हवा कभी ये पानी है
बस एक छोटी सी कहानी है
जो जानी पहचानी है
फिर भी तुमको सुनानी है
जिसके है संस्करण हज़ार
पर प्रसंग वही है - प्यार
कितना विलक्षण है ये प्यार
बांध सके जो कभी किसी को
ये ऐसे है कोई डोर नहीं
कोशिश चाहे कर को जितना
चलता है किसी का जोर नहीं
चाहे कितना पीछा कर लो
ये हाथ कभी न आता है
कभी यूँ ही चलते चलते ही
बस रस्ते में मिल जाता है
जितना चाहो इसे समझना
ये उतना ही उलझता है
कभी यूँ ही उलझे उलझे ही
ये मंजिल की राह दिखता है
कासी जो मुट्ठी बंद अगर जो
हाथों से फिसल ही जाता है
खुली बाहें फैला कर देखो
ये साथ हमेशा आता है
कितने है इसके देखे रूप
है कहीं बिखरता बन कर धुप
जेठ की लू बन कर के ये
तन मन कभी जलाता है
पतझड़ के सूखे पत्तों सा
चिंगारी से जल जाता है
कहीं बदली बन कर छाता है
घनघोर घटा बरसता है
कहीं बर्फ के कच्चे फाहों सा ये
छूते ही पिघल ये जाता है
कही सदियों सदियों तक ठहरे
ये पाले सा जम जाता है
कभी गहरा सन्नाटा है
जो काटने को आता है
कभी संगीत है, कभी शोर है
कभी सांझ है, कभी भोर है
कभी भूख है, कभी प्यास है
कभी उम्मीद है, कभी आस है
कभी दूर है , कभी पास है
कभी बस यू ही एहसास है
कभी हवा कभी ये पानी है
बस एक छोटी सी कहानी है
जो जानी पहचानी है
फिर भी तुमको सुनानी है
जिसके है संस्करण हज़ार
पर प्रसंग वही है - प्यार
कहो तो एक नयी बात करें छोटी सी शुरुवात करें
कहो तो नयी बात करें
हम तुम...
छोटी सी शुरुवात करें
ना तुम पूछो नाम मेरा
ना मै तुम्हारा पता
ना अतीत का दर्द
ना आगत का डर
एक हसीं पल आज का
मिल कर करें अता
बहने दे ख़ामोशी
शब्दों को बेजुबान करें
एक अरसे से चल ही
रहा हूँ
हम तुम...
छोटी सी शुरुवात करें
ना तुम पूछो नाम मेरा
ना मै तुम्हारा पता
ना अतीत का दर्द
ना आगत का डर
एक हसीं पल आज का
मिल कर करें अता
बहने दे ख़ामोशी
शब्दों को बेजुबान करें
एक अरसे से चल ही
छुप कर कुछ आराम करें
कहो तो
एक नयी बात करें
छोटी सी शुरुवात करें
एक नयी बात करें
छोटी सी शुरुवात करें
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